अगर अपनी मां का दूध पीया है तो सामने आ।
फिल्म:लावारिस (1981) Amitabh Bachchan
एक बाप अगर अपने बेटे की जिंदगी का पहला कदम उठाने में उसकी मदद कर सकता है ... तो वही बेटा अपने बाप के आखिरी कदम उठाने में उसको सहारा क्यों नही दे सकता... ?
फिल्म:बाग़बान (2003) Amitabh Bachchan
जो दरवाज़े पहले से ही खुले हों, वह खट-खटाये नहीं जाते।
फिल्म:नमक हलाल (1982) Amitabh Bachchan
डॉन को पकड़ना मुश्किल ही, नहीं नामुमकिन है।
फिल्म:डॉन (1978) Amitabh Bachchan
ताक़त लोगों को जोड़ने से बढ़ती है, उन्हें खिलाफ करने से नहीं।
फिल्म:सरकार (2005) Amitabh Bachchan
दुनिया के सामने हाथ नहीं जोड़ते, वरना काम निकल जाने के बाद दुनिया वाले हाथ तोड़ देते हैं।
फिल्म:शराबी (1984) Amitabh Bachchan
नजदीकी फायदा देखने से पहले दूर का नुकसान सोचना चाहिए।
फिल्म:सरकार (2005) Amitabh Bachchan
नजदीकी फायदा देखने से पहले दूर का नुकसान सोचना चाहिए।
फिल्म:सरकार (2005) Amitabh Bachchan
फूल खामोश रहकर भी अपने रंग और खुश्बू से बहुत कुछ कह जाते हैं।
फिल्म:सिलसिला (1981) Amitabh Bachchan
मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।
फिल्म:दीवार(1975) Amitabh Bachchan
ये तुम्हारे बाप का घर नहीं, पुलिस स्टेशन है, इसीलिए सीधी तरह खड़े रहो।
फिल्म:जंजीर(1973) Amitabh Bachchan
सच्चा बहादुर वो होता है जो तूफानी समुन्दर के बीच में जाकर मछली पकड़ने का जाल फेंकता है ... किनारे बैठकर पानी में काँटा डाले मछली के फंसने का इंतजार करने वाले को बहादुर नहीं कहते।
फिल्म:आख़री रास्ता (1986) Amitabh Bachchan
हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है।
फिल्म:कालिया (1981) Amitabh Bachchan
best Amitabh Bachchan Film Dialogue thanks
ReplyDeletethanks for your comment stay with us for more Hindi Film Dialogue
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